संदेश

लो मैं भी बन गया ब्लॉगर

अपने एक मित्र सुमित ने मुझे अंततः ब्लॉग पर ला ही दिया. धन्यवाद सुमित. कोशिश करूँगा, कि इस पर लगातार सक्रिय बना रहूँ. कुछ न कुछ लिखता रहूँ. लिखने को इतना कुछ है परिवेश में कि विचार-शून्य तो नहीं ही रह सकता कोई भी.  और विचार (प्रतिक्रियाएं) भी स्वतः आते-जाते रहते हैं, उमड़ते-घुमड़ते रहते हैं, लेकिन कभी समय की कमी और जब कभी समय मिला भी तो..... शूटिंग .....और कभी फिर भी समय मिल ही गया, ..तो........आलस !! आराम बड़ी चीज है, मुंह ढक के सोइए !! .........बस.......!! चुपचाप...... निःशब्द........शांत........ वाह,  सच में,........ क्या आनंद है ...... लेकिन विचार प्रवाह को कैसे रोका जा सकता है...... कोई बात नहीं विचार आते है तो आने दो, जैसे स्वतः आये हैं वैसे ही स्वतः चले भी जायेंगे या पानी के बुलबुले की तरह कुछ समय बाद नष्ट हो ही जायेंगे. किन्तु अब और नहीं. भले ही कुछ लिखो/रचो नहीं लेकिन सक्रिय तो बने रहो...... ........कोशिश जारी है.........